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Lalchi Seth or Nokar Ki Kahani Hindi me |
एक दिन मोहन नाम का एक लड़का सेठ के पास नौकरी मांगने आया और बोला -सेठ जी, आपके पास मेरे लिए कोई काम हो तो बताये और मुझे काम पर रख लीजिये !
धनराज बोला- क्या काम कर सकते हो! देख लो सारी दुकान संभालना, घर का काम, और बाहर से सामान लाना,लेजाना, यह सब काम कर सकते हो!
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मोहन- जी,मैं बिल्कुल कर सकता हूं !बस आप मुझे नौकरी पर रख लीजिए!
सेठ- नौकरी पर तो मैं रख लूंगा,पर मेरी कुछ शर्ते है जो तुम्हे माननी पड़ेगी!
मोहन- कैसी शर्ते सेठ जी ,
सेठ -देखो मेरी पहली शर्त- मैं तुम्हें किसी भी समय कोई भी कार्य करने के लिए कह सकता हूं!
मेरी दूसरी शर्त- तुम्हें केवल एक समय खाना मिलेगा!
मेरी तीसरी शर्त- अगर तुम खुद नौकरी छोड़कर जाते हो तो तुम्हें एक महीने की पगार मुझे देनी पड़ेगी!
मोहन बातों को सुनकर घबरा गया पर गरीब मोहन क्या करता उसकी मजबूरी थी तो उसने सारी शर्ते मान ली !
सेठ ने उसे काम पर रख दिया! वह बहुत अत्याचारी था वह मोहन से इतना काम करवाता-बाहर से सामान लाना -लेजाना फिर घर का सारा काम मोहन पर छोड़ दिया! रात के समय भी बस काम और काम !
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वह मोहन को विश्राम का मौका भी नहीं देता और तो और बेचारे को खाना भी केवल एक समय मिलता जिससे मोहन कमजोर होने लगा! थोड़े दिन काम करने के बाद मोहन अब हार चुका था वह सेठ से बोला- सेठ जी, अब मै यहाँ काम नहीं कर सकता, मै यहाँ से जा रहा हूं !
अब मोहन ने शर्तों के मुताबिक महीने की पगार मजबूरन सेठ को दे दी और चला गया !
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Lalchi seth or nokar hindi story for kids |
मोहन का एक अच्छा दोस्त था सुरेश! मोहन ने सुरेश को सारी बात बताई!
उसने कहा- तुम मुझे धनराज के घर का पता दे और कुछ दिन बाद वापस यही मिलना !मोहन ने सेठ का पता दिया!
सुरेश अगले दिन सेठ के घर गया और सेठ से कहा- सेठ जी कोई काम मिलेगा, बड़ी परेशानी में हूं!
सेठ ने कहा- बिल्कुल मिलेगा बस मेरी शर्ते हैं जो तुम मान लो तो !
उसके बाद सेठ ने शर्ते रखी और सारी शर्तें सुरेश ने मान ली! और सुरेश ने कहा- सेठ जी आपने तो शर्तें रख दी है, पर अब मेरी भी एक शर्त है, अगर आपने मुझे यहां से निकालना तो आपको मुझे पूरे 6 महीने की पगार देनी पड़ेगी!शर्त मंजूर है?
सेठ ने कहा – ठीक है!
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अब सुरेश अपने काम पर लग गया सेठ जो भी काम बताता सुरेश उसका उल्टा करता है!
सेठ ने सुरेश से कहा- अरे सुरेश, जरा गोदाम से चावल की बोरी लाना तो,और सुन गोदाम वापस बंद करके आना! अब सुरेश गोदाम पर गया चावल की बोरी ली और चलता बना! उसने दरवाजा बंद नहीं किया! अगले दिन सारा सामान उस गोदाम से चोरी हो गया !
उसके बाद सेठ ने सुरेश को डराया – क्यों सुरेश, तूने गोदाम का दरवाजा बंद नहीं किया!
सुरेश बोला- सेठ जी, मैंने तो ताला लगाया था! पता नहीं कैसे चोरी हो गई!
कुछ दिन बाद की बात है सेठ ने सुरेश से कहा-जा तू बाजार से घर का सामान लेकर आ!
सुरेश कुछ समय में सामान लेकर आ गया और कहा- “सेठ जी सामान कहां रखूं!”
सेठ थोड़ा गुस्से में था तो उसने कहा- “मेरे सिर पर रख दे!”
सुरेश ने उसके सिर पर सामान जोर से रखा- गुस्से में सेठ ने कहा- तू पागल है? दिखता नहीं इतना जोर से सिर पर मारा है, तू निकल यहां से, बहुत बर्दाश्त कर लिया!
उसी समय सुरेश ने कहा -सेठ जी आपको मेरी शर्त तो याद होगी! आप खुद मुझे यहां से निकाल रहे हैं,यानि छह महीने की पगार आपको मुझे देनी होगी!
सेठ ने तुरंत पैसे निकाले और सुरेश को दे दिए और बोला-यह ले पैसे और निकल यहां से!
अब सुरेश पैसे लेकर गया और वह सीधा मोहन से जाकर मिला और सेठ ने बिना पगार,मोहन से जो काम करवाया था उसका पैसा सुरेश ने मोहन को दे दिया और दोनों मित्र खुशी-खुशी वंहा से जाने लगे!