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हवेली का भूत | Bhoot Ki Kahaniya For Kids |
एक दिन पड़ोस के रामपुर गांव से दीपक नाम का एक व्यक्ति कुछ काम से करणपुर आया वह बिल्कुल अनजान था! वह उस पुरानी हवेली के पास से गुजरा तो उसे आस पास कोई लोग नहीं दिखाई दिए! जब दीपक ने उस पुरानी हवेली की तरफ देखा तो उसे हवेली का दरवाजा खुला मिला तो दीपक ने सोचा अंदर जाकर किसी से यह पता पूछ लेता हूं! अब दीपक उस हवेली के अंदर गया अचानक से हवेली का दरवाजा बंद हो जाता है और आवाज आती है- आ गए तुम… तुम्हारा स्वागत है!
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दीपक उस आवाज को सुनकर डर जाता है वह बोला- कौन है कृपया मेरे सामने आए!
फिर कीमा बोला -जिसका इस गांव में खोफ है वो में हु! “कीमा” मेरा नाम है! तुम यहां क्यों आए हो मूर्ख… क्या काम है यहा बता?
दीपक बोला- मै यह आज शक्कर वाले का पता पूछने आया था मुझे और कुछ नहीं चाहिए! अगर आपको पता नहीं मालूम है तो मैं यहां से चला जाता हूं!
फिर कीमां ने कहा- तू यहां से अब नहीं जा सकता, इस हवेली के सारे दरवाजे अब तुम्हारे लिए बंद है! अगर तुम यहां से बाहर जाना चाहते हो तो तुम्हें मेरे सवालों का सही जवाब देना होगा !
इसके बाद दीपक डरता हुआ बोला – मैं सही जवाब दे दूंगा!पहले आप सामने तो आइए!
फिर कीमा ने कहा- लो आ गया!
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Haweli Ka Bhoot | Kids Learning Stories |
यह देखकर दीपक बहुत डर गया! उसने मन मैसोचा यह तो कोई भूत है! और मैं उससे बात कर रहा था!
उसके बाद कीमा बोला- मुझे चाहिए सही जवाब उसके बाद जाइए बाहर!
दीपक ने कहा पूछो सवाल -मै जवाब देने के लिए तैयार हूं!
यह सुनकर कीमा ने पहला सवाल किया-
“दुनिया भर की करता सैर, धरती पर ना रखता पैर,
दिन में सोता, रात में जागता, रात अंधेरी मेरे बगैर!”
सवाल को सुनकर दीपक बोला उसका जवाब तो मुझे मालूम है- जवाब दे “चांद”
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कीमा बोला तुम्हारा दूसरा सवाल-
“आंखें हैं पर देख नहीं सकती, पैर है पर चल नहीं सकती ,
मुंह पर बोल नहीं सकती,बता इसका जवाब!”
दीपक बोला- इसका जवाब है “गुड़िया”जिससे बच्चे खेलते हैं!
कीमा बोला अब तुम्हारा आखिरी सवाल सही जवाब दिया तो बच जाओगे बाकी यहां से कभी बाहर नहीं निकल पाओगे!
“रोज सुबह को आता हूं,
रोज शाम को जाता हूं,
मेरे आने से होता उजियारा,
जाने से होता है अँधियारा”
सवाल सुनकर दीपक बोला- इसका जवाब तो बहुत सरल है- जवाब है सूरज!
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Haweli Ka Bhoot | Hindi Story |
जैसे ही दीपक ने जवाब दिया कीमा भूत इंसानी रूप में आ गया! और बोला – धन्यवाद दोस्त,मैपिछले 100 सालों से एक साधु के श्राप से भूत बनकर इस हवेली में केद था !मेरे श्राप से मुक्त होने का एक ही रास्ता था वह था पहेलियों का !पहेलियों का सही जवाब जो आज तक कोई नहीं दे पाया परन्तु तुम ने यह कर दिखाया! और मुझे मुक्त कर दिया ! धन्यवाद्
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